वेद में पशॠहतà¥à¤¯à¤¾ निषेध, पशॠरकà¥à¤·à¤¾ का विधान और मांसाहार
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Manmohan Kumar AryaDate
18-Feb-2016Category
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अनेक अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ लोग बिना पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर मांसाहार का मिथà¥à¤¯à¤¾ आरोप लगाते हैं। वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मांसाहार करते हैं अतः समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि इस आरोप को लगाकार उनका मांसाहार करना उचित ठहरा दिया जायेगा और कम से कम वेदों के मानने वाले आरà¥à¤¯ तो उनका विरोध नहीं कर सकेंगे। ईशà¥à¤µà¤° ने ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जगत को à¤à¥€ बनाया है। यदि ईशà¥à¤µà¤° के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पशà¥à¤“ं के मांस का आहार कराना ही अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¤ होता तो फिर वह नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में परिगणित वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, अनà¥à¤¨, साग व सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¯à¥‹à¤‚ को शायद उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ ही न करता और पशà¥à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ को इतना बढ़ा देता कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ केवल मांसाहार कर ही अपना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते। ईशà¥à¤µà¤° को à¤à¤¸à¤¾ अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ नहीं था अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने किसी विशेष पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिठपशà¥à¤“ं को बनाया और मनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आहार के लिठपृथक से नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ शाकाहार के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त आने वाले अनेकानेक अनà¥à¤¨, फल, साग-सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और गोदà¥à¤—à¥à¤§ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को बनाया है। हमें नहीं लगता कि संसार में कोई मांसाहारी à¤à¤¸à¤¾ हो सकता है जो केवल मांस ही खाता हो तथा अनà¥à¤¨, फल, गोदà¥à¤—à¥à¤§ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन न करता हो। इस उदाहरण से अनà¥à¤¨, फल व गोदà¥à¤—à¥à¤§à¤¾à¤¦à¤¿ पदारà¥à¤¥ तो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ सिदà¥à¤§ होते हैं परनà¥à¤¤à¥ मांस मनà¥à¤·à¥à¤¯ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ सिदà¥à¤§ नहीं होता।
पशà¥à¤“ं व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ मांस कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं खाना चाहिये? इसलिठनहीं खाना चाहिये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मांस हिंसा से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और निरà¥à¤¦à¥‹à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हिंसा करना मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में ईशà¥à¤µà¤° ने दया, करूणा, पà¥à¤°à¥‡à¤®, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹, ममता, संवेदना, सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ आदि अनेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया है व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ इसमें सनातन से हैं। मांसाहार करने से इन मानवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का नà¥à¤¯à¥‚नाधिक हनन होता है, अतः मांसाहार वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ व तà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤¯ है। मांसाहार का आरमà¥à¤ किसी पशॠको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना, किसी छà¥à¤°à¥‡ व तलवार आदि से उसका वध करना, उसके शरीर के à¤à¤•-à¤à¤• अंग पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤‚ग को काटना, उसे रसोईघर में तेल, घृत, मसालों आदि में à¤à¥‚नना व उसका गेहूं आदि की रोटी, चावल व दही आदि मिलाकर सेवन करना होता है। सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है कि इतने पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के संयोग से जो पदारà¥à¤¥ बनेगा उसका अपना सà¥à¤µà¤¾à¤¦ होगा। कईयों को वह पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो सकता है और बहà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को अपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥¤ हमने देखा है कि पहली बार जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जाने व अनजाने मांसाहार करता है उसका शरीर उसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करता और वह उसे उगल देता है या उलà¥à¤Ÿà¥€ कर देता है। यह पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का वा ईशà¥à¤µà¤° का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ होता है कि यह पदारà¥à¤¥ खाने योगà¥à¤¯ नहीं है। बहà¥à¤¤ से लोग मांसाहारियों की संगति में रहते हैं जिससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह दोष लग जाता है। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•, दो, तीन बार तो उसको उलटी आदि कराकर रोकता है परनà¥à¤¤à¥ जब वह नहीं मानता तो ईशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ उसे अपराधी मानकर उसका जीवन पूरा होने की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करता है जिससे उसे मृतà¥à¤¯à¥ होने के बाद उसके अगले पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में इन अमानवीय कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प दणà¥à¤¡ दे सके। हमें लगता है कि बहà¥à¤¤ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® पाकर पशॠबनते होंगे जिनका मांस दूसरे मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पशॠआदि खाते होंगे। अतः मांसाहार का सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤— ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤–ी, सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ बनाता है। शाकाहारी मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में मांसाहारी मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में बल, शारीरिक सामथà¥à¤°à¥à¤¯, बौदà¥à¤§à¤¿à¤• व आतà¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾, साहस, निरà¥à¤à¤¯à¤¤à¤¾, सेवा, परोपकार व धरà¥à¤®-करà¥à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ अधिक होती है जिसे पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ व उदाहरणों से सिदà¥à¤§ किया जा सकता है।
वेद संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है जिसमें धरà¥à¤® व करà¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का विधि व निषेधातà¥à¤®à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। विदेशियों ने अपने मांसाहार का दोष छिपाने वा अपनी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• अकà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के कारण यह आरोप लगाया कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में हमारे पूरà¥à¤µà¤œ आरà¥à¤¯ व ऋषिगण पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के हथियार बनाकर पशà¥à¤µà¤§ कर मांसाहार किया करते हैं। यह बात सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ व मिथà¥à¤¯à¤¾ है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल में हमारे व समसà¥à¤¤ मानवजाति के पूरà¥à¤µà¤œ फल, कनà¥à¤¦, मूल व गोदà¥à¤—à¥à¤§à¤¾à¤¦à¤¿ का आहार व à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया करते थे। चारों वेदों के à¤à¤• मनà¥à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ मांसाहार करने का संकेत नहीं है अपितॠपशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ करने का विधान है जो सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से घोषणा करता है कि यजमान के पशॠगाय, घोड़ा, बकरी, à¤à¥‡à¤¡à¤¼ आदि अवधà¥à¤¯=हतà¥à¤¯à¤¾ न करने व न मारने योगà¥à¤¯ है जिनकी आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने सà¥à¤– व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठरकà¥à¤·à¤¾ करनी है। इसका à¤à¤• ठोस पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ यह है कि हिरण सहित जितने à¤à¥€ शाकाहारी पशॠहैं यह जंगल में शेर आदि हिंसक पशà¥à¤“ं को देख कर à¤à¤¾à¤— जाते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° ने गनà¥à¤§ के आधार पर यह समठपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की हà¥à¤ˆ है कि कौन सा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ हिंसक है और कौन अहिंसक, कौन इनका घातक है और कौन इनका रकà¥à¤·à¤•à¥¤ इन शाकाहारी पशà¥à¤“ं के समà¥à¤®à¥à¤– जब à¤à¥€ कोई हिंसक पशà¥, शेर, चीता आदि आते हैं तो यह दूर से ही उनके आने व होने की गनà¥à¤§ को à¤à¤¾à¤‚प कर à¤à¤¾à¤— खड़े होते हैं परनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को देखकर यह दूर à¤à¤¾à¤—ने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उसके पास आकर उससे अपना पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करते हैं। इससे सिदà¥à¤§ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ शाकाहारी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है, मांसाहारी नहीं है तथा इसी कारण पशॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से डरते नहीं, दूर à¤à¤¾à¤—ते नहीं व उसके समीप पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ से आते हैं। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठपशà¥à¤“ं की हतà¥à¤¯à¤¾ करना उसके ईशà¥à¤µà¤° व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व गà¥à¤£ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ होने से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ है।
वेदों ने पशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ व मांसाहार विषयक कà¥à¤¯à¤¾ विचार हैं, इसका संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में अवलोकन करते हैं। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के 40/7 मनà¥à¤¤à¥à¤° ‘यसà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¿à¤¤à¥à¤¸à¤°à¥à¤µà¤¾à¤£à¥€ à¤à¥‚तानà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¥ˆà¤µà¤¾à¤à¥‚दॠविजानतः। ततà¥à¤° को मोहः कः शोकः à¤à¤•à¤¤à¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤ªà¤¶à¥à¤¯à¤¤à¤ƒà¥¤à¥¤’ में कहा गया है कि जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को केवल अपने जैसी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के रूप में ही देखता है (सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, पà¥à¤°à¥à¤·, बचà¥à¤šà¥‡, गौ, हरिण, मोर, चीते तथा सांप आदि के रूप में नहीं) उसे उनको देखने पर मोह अथवा शोक (गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ वा घृणा) नहीं होता, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उन सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ वह à¤à¤•à¤¤à¥à¤µ (समानता तथा सामà¥à¤¯à¤¤à¤¾) का अनà¥à¤à¤µ करता है। इस मनà¥à¤¤à¥à¤° में यह सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ दिया गया है शोक व मोह से बचने के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी आतà¥à¤®à¤¾ के समान व रूप में ही देखना चाहिये। इससे वह शोक व मोह से बच सकते हैं। आरà¥à¤¯à¤œà¤—त के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ पं. सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ अपनी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आरà¥à¤¯-लोग मांसाहारी थे?’ में लिखते हैं कि जो लोग आतà¥à¤®à¤¾ की अमरता, पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® तथा à¤à¤•à¤¤à¥à¤µ (समानता=सामà¥à¤¯à¤¤à¤¾) के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखते थे (जैसा कि आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¾ जाता है), वे अपने कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¦ की तृपà¥à¤¤à¤¿ अथवा à¤à¥‚खे पेट की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये उन पशà¥à¤“ं को कैसे मार सकते थे जिनमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने ही पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के दरà¥à¤¶à¤¨ होते थे? वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤¸à¤¾ कà¤à¥€ नहीं हो सकता। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ मनà¥à¤¤à¥à¤° 36/18 में कहा गया है कि ‘मितà¥à¤°à¤¸à¥à¤¯ मा चकà¥à¤·à¥à¤·à¤¾ सरà¥à¤µà¤¾à¤£à¤¿ à¤à¥‚तानि समीकà¥à¤·à¤¨à¥à¤¤à¤¾à¤®à¥à¥¤ मितà¥à¤°à¤¸à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤‚ चकà¥à¤·à¥à¤·à¤¾ सरà¥à¤µà¤¾à¤£à¤¿ à¤à¥‚तानि समीकà¥à¤·à¥‡à¥¤’ इस मनà¥à¤¤à¥à¤° का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ है कि मà¥à¤à¥‡ सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ अपना मितà¥à¤° समà¤à¥‡à¤‚ तथा मैं à¤à¥€ उनसे अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करूं। हे परमातà¥à¤®à¤¾ ! कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ विधि मिलाओं कि हम सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ à¤à¤• दूसरे से सचà¥à¤šà¥‡ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आरà¥à¤¯ लोग ‘पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के लिये अथाह मैतà¥à¤°à¥€’ के उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में न केवल आसà¥à¤¥à¤¾ ही रखते थे, अपितॠइसे ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ धरà¥à¤® का अंग जानकर अपने जीवन में उतारने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ à¤à¥€ करते थे। उन आरà¥à¤¯à¥‡à¤¾à¤‚ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में यह धारणा रखना कि वे अपनी जैहà¥à¤µà¤¿à¤• लालसा की कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• तृपà¥à¤¤à¤¿ के लिये उन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वे मितà¥à¤°à¤¤à¥à¤²à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ जानते थे, वध करते थे, अनरà¥à¤—ल नहीं तो और कà¥à¤¯à¤¾ है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के लिये अथाह मैतà¥à¤°à¥€ के इस वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ का पारिणााम यह निकला कि समाज में दोपायों (मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚) और चैपायों की हिंसा पूरà¥à¤£ रूपेण निषिदà¥à¤§ कर दी गई। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ मानव के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अहिंसाà¤à¤¾à¤µ का कठोर आदेश देते हà¥à¤ कहता है कि ‘...... माहिंसीः पà¥à¤°à¥à¤·à¤®à¥ ...’ (अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 16/3) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥à¤· किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की हिंसा न करे। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ पशà¥à¤“ं के मारे जाने पर कठोर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाता है। वह कहता है कि ‘मा हिंसीसà¥à¤¤à¤¨à¥à¤µà¤¾ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ƒ‘ (अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ मनà¥à¤¤à¥à¤° 12/32) तथा ‘इमं मा हिंसीदà¥à¤µà¤¿à¤ªà¤¾à¤¦ पशà¥à¤®à¥ ...’ (अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 13/47)। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में गोवध का निषेध किया गया है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मानव जाति के लिये गौ शकà¥à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤• घी पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। ‘... गां मा हिंसीरदितिं विराजम॒ (अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 13/43 à¤à¤µà¤‚ ‘..... घृतं दà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¤à¤¿ जनाय .... मा हिंसीः’। (अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 13/49)। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से अशà¥à¤µ, बकरी व à¤à¥‡à¤¡à¤¼ आदि पशà¥à¤“ं का वध न करने के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ वेद में अनेक आजà¥à¤žà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उपलबà¥à¤§ हैं। इससे सिदà¥à¤§ हो जाता है कि समसà¥à¤¤ वैदिक साहितà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ वेद पशà¥à¤“ं की हिंसा के सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ विरोधी हैं, मांसाहार का तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं होता। आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने वेदों में पशà¥à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ व मांसाहार पर अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखकर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ उदाहरण, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, तरà¥à¤• आदि देकर वेदों में इनका विधान होने का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ किया है। आरà¥à¤¯ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जगदीशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के शतà¥à¤°à¥ अणà¥à¤¡à¥‡ व मांस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखकर इन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के हानिकारक सिदà¥à¤§ किया है। à¤à¤• विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° बरà¥à¤¨à¤¾à¤¡à¤¶à¤¾ के जीवन की à¤à¤• घटना का उललेख कर हम इस लेख को विराम देंगे। बरà¥à¤¨à¤¾à¤¡à¤¶à¤¾ को डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ ने मांस-सेवन की समà¥à¤®à¤¤à¤¿ दी थी जिसका उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था--“My situation is a solemn one. Life is offered to me on condition of eating beef steaks. But death is better than cannibalism. My will contains directions for my funeral, which will be followed not by mourning coaches, but by oxen, sheep, flocks of poultry and a small travelling aquarium of live fish, all wearing white scarfs in honour of the man who perished rather than eat his fellow creatures. It will be with the exception of Noah’s ark, the most remarkable thing of the kind seen.” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ‘‘मेरी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ गमà¥à¤à¥€à¤° है। मà¥à¤à¥‡ कहा जाता है कि गो-मांस खाओ तà¥à¤® जीवित रहोगे। इस राकà¥à¤·à¤¸à¤ªà¤¨ की अपेकà¥à¤·à¤¾ मृतà¥à¤¯à¥ अधिक उतà¥à¤¤à¤® है। मैंने अपनी वसीयत लिख दी है। मेरी मृतà¥à¤¯à¥ पर मेरी अरथी के साथ विलाप करती गाडि़यों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है। मेरे साथ बैल, à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¥‡à¤‚, मà¥à¤°à¥à¤—े और जीवित मछलियों का à¤à¤• चलता-फिरता घर होगा। इन सà¤à¥€ पशॠऔर पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गले में सफेद दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ होंगे, उस मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में जिसने अपने साथी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को खाने की अपेकà¥à¤·à¤¾ मरना उतà¥à¤¤à¤® समà¤à¤¾à¥¤ हजरत नूह की नौका को छोड़कर यह दृशà¥à¤¯ सबसे अधिक उतà¥à¤¤à¤® और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होगा।”
लेख की समापà¥à¤¤à¥€ पर निवेदन है कि वेदों व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• वैदिक साहितà¥à¤¯ में मांसाहार का विधान नहीं है। यदि कहीं à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¥€ होती है तो यह इंटरपà¥à¤°à¥€à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ व मिलावट के कारण हो सकती है। मानवीय आधार पर à¤à¥€ पशॠहतà¥à¤¯à¤¾ और मांसाहार दूषित व पाप करà¥à¤® है। इसका करना इस जीवन को कà¥à¤› समय के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ बना सकता है परनà¥à¤¤à¥ मृतà¥à¤¯à¥ के बाद के जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में मांसाहारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पशॠबनाकर इस अपकार का बदला ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अवशà¥à¤¯ चà¥à¤•à¤¾à¤¯à¤¾ जायेगा। कोई इससे बच नहीं सकेगा। ईशà¥à¤µà¤° किसी की दलील à¤à¥€ नहीं सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ के मन व आतà¥à¤®à¤¾ के विचारों व उसकी सà¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का साकà¥à¤·à¥€ होने के साथ किसी बात व घटना को à¤à¥‚लने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से रहित है। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मांसाहार के घृणित कारà¥à¤¯ से सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को दूर रखना चाहिये। यदि नहीं रख सकते तो ईशà¥à¤µà¤° की दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करें और जैसी करनी वैसी à¤à¤°à¤¨à¥€ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करें।
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